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आंदोलन

SARANSH

आंदोलन तो हम भी उसके घर के आगे करेंगे,

मोहब्बत में उम्मीदें तो उसने भी हमारी कई तोड़ी हैं।

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तो मैं मिलू या जो तुमसे मिला करता था वहीं मिलू जहां मिला करता था, बैसे ही जैसे मिला करता था, काम की बात करू या वही हसी ठिठोली की बातें...

कहानियां

वो इश्क ढूंढती रही कहानियों में, कोई बयान कर गया शायरियों में। जब तक चरित्र में बरवादियां ना हो आदमी कहानी नहीं बनता।

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