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Shikayat

SARANSH

Unse koi shikayat nahi rkhni

Mohabbat rakhni h par izajat nahi rkhni

Gar puchha kisi ne unka haal to

Zikr unhi ki rkhni h pr baat nhi rakhni

Ab mehfil me us jagah jakr bethe hain wo ki

Pahunchte nhi ishare us tk

Yaad krenge unko beshaq

Pr dil me unki koi yaad nahi rkhni

Ab unse koi shikayat nahi rakhni.


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