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हदें

SARANSH

ओरतें तो हदों में खुद बेहद हैं,

फिर ये पुरुष कौन सी हदों की बात करते हैं?

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तो मैं मिलू या जो तुमसे मिला करता था वहीं मिलू जहां मिला करता था, बैसे ही जैसे मिला करता था, काम की बात करू या वही हसी ठिठोली की बातें...

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